स्वाभाविक थी नाराज़गी मेरी प्यार भी तुम्हारा झूठा था
बहुत लुटाया बेक़दरो पर मेरी बारी में मुझको लूटा था
तुमने चाहा किसी और को फिर भी मैं तेरे लिये रोता था
तेरे झूठे बहानों को सच समझ के खुश होता था
वो चाहता किसी और को था और साथ मेरे रहता था
वक़्त बिताने के लिए झूठी हमदर्दी देता था
कोई शिकायत नहीं तुमसे बस इतना बता देता
जब प्यार नहीं था मुझसे तो झूटे वादे क्यूँ करता था
क्या कमी थी मेरे प्यार में जो तुमने मुझे तोड़ दिया
वक़्त बिताने के लिए मेरे दिल को तोड़ दिया
जिसे फ़र्क़ नहीं पड़ा मेरे प्यार से
उस बेवफ़ा को मैंने आज छोड़ दिया
मेरा तो वक़्त ख़राब आया
जिसने तेरा असली चेहरा दिखाया
तेरे झूठे प्यार को मेरे सामने लाया
मेरे दिल के टुकड़े तेरे रास्ते में आयेंगे
एक दिन इस बेवफ़ा को हम भूल जाएँगे
आज खुश हो किसी का घर उजाड़ कर
कल ख़ुद के घर में रोना आएगा
कुदरत देगी धोखा जिस दिन
उस दिन केशव को दिया धोखा याद आएगा
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