Home साहित्य मेरे घर में तो आजकल दंगा है

मेरे घर में तो आजकल दंगा है

1649
4
West Bengal violence
मेरे घर में तो आजकल दंगा है

कौन से शहर का तू बाशिंदा है
मेरे घर में तो आजकल दंगा है

बस भाषणों तक सीमित रहती है कार्यवाही
बाकी तो प्रशासन खोखला और नंगा है

चुनाव दर चुनाव जीत जाते हो सरकार
अपने सिपहसालार मरे तो भी चंगा है

जागो अपनी इस लंबी खामोश नींद से
हो रहा यहां पर मौत का धंधा है

कुछ मन के मैले हैं कुछ शरीर सड़ांध से भरा
दूषित मानसिकता है और प्रदूषित गंगा है

सितारों से किस्मत नहीं होती आदमी की
उसका जीवन तो जैसे पतंगा है

वक्त रहते वार करो, जुल्म का प्रतिकार करो
हर एक अत्याचारी यहां भ्रष्ट और गंदा है

Comments are closed.