मेरी आवाज दरिया में खो सी गई है
अँधेरे में रोशनी भी सो सी गई है
सांसो में अब तो ज़िन्दगी उलझी है
चेहरा – बेचेहरा उम्मीदें टिकी है
परदो में छुपकर क्या सोचते हो
खामोश रहकर भी सब बोलते हो
ख्वाबो से जैसे कहानी बही है
चेहरा – बेचेहरा उम्मीदें टिकी है
कुछ था कहीं पर दिखा तो नहीं है
था जो भी लेकिन मिला तो नहीं है
न जाने कहाँ पर वो दुनिया छुपी है
चेहरा – बेचेहरा उम्मीदें टिकी है
कोई तो नजर आए इन रास्तों पर
इरादे बदल जाए इन फ़ासलो पर
यही मेरे दिल की जुबानी रही है
चेहरा – बेचेहरा उम्मीदें टिकी है
क़दमो से डरना था इन मंजिलो ने
दूरी मिटानी थी मेरे हौसलों ने
यही तो मेरी ज़िन्दगानी रही है
चेहरा – बेचेहरा उम्मीदें टिकी है
राते गई और आई सुबह भी
भरा आसमां है और खाली जगह भी
मेरे दर्द ने कितनी बाते सही है
चेहरा – बेचेहरा उम्मीदें टिकी है
कही पर है खाली और छोटा घरौंदा
जहाँ उसकी मिटटी को किसने है रौंदा
इसे तो किसी की नजर ही लगी है
चेहरा – बेचेहरा उम्मीदें टिकी है
धुंध से चेहरे दिखते नहीं है
रोशनी से धब्बे मिटते नहीं है
इसी बात की तो पहेली बनी है
चेहरा – बेचेहरा उम्मीदें टिकी है
बेवक्त यादें सिमटती नहीं है
गहरी ये राते भी छटती नहीं है
कहाँ से ये इनकी रंगत घनी है
चेहरा – बेचेहरा उम्मीद टिकी है
कई आस लेकर मेरे पास आया
वो पतझड़ का मौसम सितम का सताया
मेरी कोशिशों पर इसकी हिम्मत बंधी है
चेहरा – बेचेहरा उम्मीदें टिकी है
संभाला है कितना मगर गिर गया है
ये मन का समंदर जो सिरफ़िर गया है
कही तो निराशा की बूंदे गिरी है
चेहरा – बेचेहरा उम्मीदें टिकी है
भीड़ जो हुई तो रोका है खुद को
बेचारगी में किसी की तो सुध लो
क्यों सबको यहाँ पर अपनी पड़ी है
चेहरा – बेचेहरा उम्मीद टिकी है
नजर को घुमाया कोई आइना था
मेरी रूह का रूप जिसमे बना था
मगर झूठ से फिर भी संगत जुड़ी है
चेहरा – बेचेहरा उम्मीदें टिकी है
इधर से शुरू था वहाँ पर समापन था
मौत के पलड़े में थोड़ा सा जीवन था
ये दुनिया है छोटी या कितनी बड़ी है
चेहरा – बेचेहरा उम्मीदें टिकी है
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