दिल करता है खोजबीन कि कुछ मिल जाए
सुकून न सही मंजिल ही मिल जाए
अपने दायरे में चंद सपने हैं यारों
गुजारिश है सच में मिल जाए
कभी कभी सोचने से नींद नहीं आती
सोचते हुए ही सही कोई दिल मिल जाए
एकतरफा इंसानियत की उम्मीद रखते हैं
फिर कहते हैं हमको मौका मिल जाए
शरीर पर कुछ जख्मों के धब्बे पड़े हैं
शायद उसकी तह में कोई दर्द मिल जाए
नौजवान साथी बस खुशफहमी में रहते हैं
कि बिना मेहनत के दिलरूबा मिल जाए
मर्द अपनी ताकत की नुमाइश करता है
औरतों को चाहिए कि आज़ादी मिल जाए
थका, हारा, सब कुछ करके शरीर बैठ गया
अब इतना ही है की ये मिट्टी में मिल जाए