गौर भी करें तो किस किस पर करें
सब यहां मगन हैं अपने ही हाल में
अगर मुलायम न होता तो क्या करता
शामियाना तो लगता है सबके पंडाल में
चेहरा तो मासूम है मगर दिल मक्कार है
यहां शरीफ लोग होते हैं भेड़ियों की खाल में
हमने महसूस किया दहशत का माहौल बड़े करीने से
मौत का व्यापार है पश्चिम बंगाल में
साहब चुनाव दर चुनाव जीतते रहते हैं
और जनता को छोड़ते हैं बुरे हाल में
पूछने की हिमाकत पर घसीट कर ले जाते हो
क्योंकि धोती उतर गई उनकी हरेक सवाल में
वो तो भला हो कि इंसाफ़ के मंदिर ने बरी कर दिया
और थप्पड़ जड़ दिया नाइंसाफी के गाल में
ज़रा सा पैसा आया नहीं को उछलने लगे
अकड़ आ गई है अब गधे की चाल में
सभी यहां पर चुप रहकर तमाशबीन बने रहेंगे
कोई न्याय नहीं दिलाएगा शहर के बवाल में
घमंड तो औरंगज़ेब का भी भस्म हो गया
तुम भी धंस जाओगे के काल के गाल में
वफादारी अगर करनी तो अपने देश से करो
तुम्हें तो मलाई चाहिए भ्रष्ट सरकार में
इतना धुआं हो चुका है इस पूरे शहर में
बची नहीं हवाएं किसी भी डाल में
घटनाएं, हादसे और दर्दनाक चीखें निकलती रहेंगी
कुछ नहीं मिलेगा मगर जांच पड़ताल में
इंसानियत बेचकर चालबाज़ी से अपना घर भरते हैं
यही हाल है स्कूल, बाज़ार और अस्पताल में
कामयाबी के लिए सिर्फ संघर्ष और लगन काफी है
मत पड़ो तुम लोभ के मायाजाल में
मेरे आइने में मेरा गुरूर नहीं दिखता है
वो तो दिखता है मेरी अकड़ और चाल में
सारा गुरूर मिल जाना है मिट्टी में एक दिन
फिर रहना अपनी झूठी शान के ख्याल में