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अजीत : हार से जीत की तरफ

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Mahakaleshwar mandir, Ujjain
अजीत : हार से जीत की तरफ

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित एक छोटे गाँव अहिरीटोला में अजीत नाम का एक जिद्दी, शरारती, लापरवाह और निकम्मा लड़का रहता था। वह अपनी बदमाशी और दूसरों को परेशान करने के लिए जाना जाता था। अजीत को हमेशा दूसरों का मजाक उड़ाने में खुशी मिलती थी और उसे अपने आसपास के लोगों को परेशान करने की आदत थी। उसकी संगत भी अच्छी नहीं थी क्योंकि उसके दोस्त इकबाल, अहमद और अली तीनो बहुत ही चालबाज, निर्दयी और बद्तमीज किस्म के लड़के थे। उन सब का साथ पाकर अजीत को अपनी कारस्तानी करने में बड़ा मज़ा आता था। कभी किसी का दरवाजा खटखटा कर चले जाना, कभी देर रात में शोर मचाना, कभी अपने स्कूल के सहपाठियों को पढाई न करने देना और खुद भी न पढ़ना। अजीत की इन बर्बाद करने वाली हरकतों से उसके मा बाप के साथ साथ पूरा गाँव तंग आ चुका था।

अजीत को लगता था कि उसकी हरकतों से किसी को परेशानी नहीं होती है क्योंकि ये सब उसके लिए सिर्फ एक खेल था। लेकिन उसकी हरकतें लोगों के लिए बहुत संकट पैदा कर रही थी इस की वजह से स्कूल और उसके घर के आस पास के लोगों ने अजीत से दूर रहना ही सही समझा। लेकिन लेकिन अजीत को इस से कोई फर्क नहीं पड़ा। एक दिन, विशेष रूप से क्रूर शरारत के दौरान, अजीत ने अनिका नामक एक नए छात्रा को निशाना बनाया। उसने अपने उच्चारण और कपड़ों का मजाक उड़ाया, जिससे वह पूरी कक्षा के सामने शर्मिंदा और अपमानित महसूस कर रही थी।

अपनी तंग करने की गन्दी आदत की वजह से उसने अपने स्कूल की सहपाठी अनिका उसकी भाषा, उसको वेश भूषा और उसके हाव भाव का मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया फिर उसकी वजह से वो घबरा गयी और बेहोश हो गयी। अब तक ये अजीत के लिए मज़ाक था मगर अनिका का बेहोश होना उसके लिए एक सदमे से कम नहीं था। साथ के छात्रों ने स्कूल अथॉरिटी को सूचित किया और तब उन्होंने डॉक्टर को फ़ोन किया।


डॉक्टर ने जब अनिका को देखा तो कहा "वैसे तो कोई परेशानी की बात नहीं है लेकिन भीड़ ज़्यादा होने और घबराहट के कारण इनको पैनिक अटैक आ गया और ये बेहोश गयी, मैंने दवाई लिख दी है इनको सुबह शाम तीन दिन तक दे देना और पूरी तरह से आराम करने को कहना"। फिर स्कूल प्रशासन अनिका के माँ बाप को सारी घटना बताई और फिर उनको बुलाया, पहले तो उसके माँ बाप ने बहुत गुस्सा किया क्योंकि वो जानना चाहते थे कि ऐसा कैसे हो गया, मगर जब उन्होंने महसूस किया कि स्कूल ने अपनी ज़िम्मेदारी को अच्छे से निभाया है और समय पर डॉक्टर को बुलाकर अनिका का इलाज करवाया तो उनका गुस्सा थोड़ा कम हुआ। मगर वो फिर भी पता करना चाहते थे कि किस वजह से उनकी बेटी को घबराहट हुई और पैनिक अटैक आया।

अब तक सबको पता चल गया था की ये घटिया काम अजीत का था, इस बात को जान कर अनिका के माता पिता गुस्से से भड़क गए हुए स्कूल से अजीत के माँ बाप को बुलाने और उसे उचित सजा देने के लिए कहने लगे। अजीत अब इस सब से डरने लगा और उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। आज उसको जीवन में पहली बार एहसास हुआ कि उसका मज़ाक और परेशान करने हरकत किसी के लिए कितनी खतरनाक और जानलेवा हो सकती है। इसलिए उसने अपनी सफाई में कुछ नहीं कहा। स्कूल ने अजीत के माता पिता को बुलाया और उनको सारा वाकया सुनाया, वो भी आक्रोश में आकर अजीत को वहीँ पर थप्पड़ जड़ने लगे, फिर उसकी क्लास टीचर ने उनको संभाला।


हालाँकि इस पर भी अनिका के माँ बाप का गुस्सा शांत नहीं हुआ और उन्होंने स्कूल से कड़ा कदम उठाने की मांग की। काफी सोच समझ कर स्कूल ने यही कहा कि अगर अनिका अजीत के खिलाफ अगर शिकायत करेगी तो ही विद्यालय उस पर एक्शन लेगा नहीं तो ऐसा नहीं हो पाएगा। अनिका के होश में आने से उसके माँ बाप ने उसको कहा कि अजीत के विरोध में शिकायत दे ताकि स्कूल उस पर सख्त एक्शन ले। मगर अनिका ने इन सब के उलट कहा कि मुझे कोई शिकायत नहीं करनी , अजीत की वजह से कुछ नहीं हुआ, मुझे भीड़ से दिक्कत है इसलिए ऐसा हो गया। ये सब सुनकर अजीत हक्का बक्का रह गया, आज उसको अहसास हुआ कि दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं एक उसके जैसे जो लोगों को तंग करते हैं और अपनी गलतियों को मानते नहीं है और एक अनिका जैसे जो लोगों को उनकी गलतियों को क्षमा करने की शक्ति भी रखते हैं।

उस रात अजीत आत्मग्लानि से भरा हुआ था और उसे नींद नहीं आई, उस रात सोने में असमर्थ, अजीत ने अपनी दादी से बात करने का फैसला किया, जो अपनी बुद्धि और दया के लिए जाना जाती थी। उन्होंने अजीत की परेशानियों को धैर्यपूर्वक सुना और धीरे से कहा, "मेरे प्यारे अजीत, जिस तरह से आप दूसरों के साथ व्यवहार करते हैं, उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। लोगों का मज़ाक उड़ाने से आपको मज़ा आता है, लेकिन यह दूसरों को गहराई से चोट पहुंचा सकता है। आप अपने आस -पास के लोगों को खुशी या दुःख देने की शक्ति रखते हैं इसलिए अपने आपको सुधारिये और लोगों के साथ अच्छे से व्यवहार करो " दादी के शब्दों ने अजीत के दिल के भीतर एक गहरा प्रभाव डाला। उसने फैसला किया कि कल सुबह वो सबसे पहले अनिका से माफ़ी मांगेगा और अपनी ये बेकार की हरकतों को अब कभी भी नहीं दोहराएगा। अब वो इस तरह का रवैया नहीं रखेगा और अपनी उन घटिया दोस्तों का साथ छोड़ देगा।

सुबह स्कूल पहुंचने पर प्रार्थना के बाद, अजीत अनिका को ढूंढ़ने लगा , अजीत दसवीं कक्षा में पढ़ता था और अनिका नौंवी में। उसने पता किया कि नौंवी क्लास का अगला पीरियड लाइब्रेरी है, तो वो तुरंत लाइब्रेरी पहुंच गया। अगले दिन स्कूल में उसने अनिका की आंखों में उदासी पर ध्यान दिया, उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी अनिका से बात करने की तो उसने उसके टेबल पर एक नोट छोड़ दिया लिख "मेरी हरकत बहुत ही शर्मनाक और माफ़ी के काबिल नहीं है, मगर तुमने मुझे माफ़ करके अपने बड़प्पन और सरलता का परिचय दिया, मैं तुम्हारा सामना करने के लायक नहीं हूँ इसलिए मैं अपनी उस गलत हरकत के लिए तुमसे माफ़ी मांगता हूँ और भविष्य में ऐसा कभी नहीं करूंगा, न ही तुम्हारे कभी सामने आऊंगा, कृपया मुझे माफ़ कर देना , उस नोट पर लिख देना कि आपने मुझे माफ़ कर दिया, आपका बहुत एहसान होगा "

अजीत की ईमानदारी से माफ़ी मांगने की कोशिश रंग लाई और आश्चर्यजनक रूप से, अनिका ने उसे माफ कर दिया। वे जल्द ही दोस्त बन गए, और अजीत ने महसूस किया कि दया और माफ़ी से ज़िन्दगी अब बेहतर होने लगी है। अपने आप में सुधार किया वो अच्छे दोस्तों और माहौल के साथ रहने लगा अब उसका इक़बाल , अली और अहमद से कोई वास्ता नहीं था।

अजीत का एक मैडिटेशन सेण्टर में जाना और जीवन में नया परिवर्तन

एक दिन, अजीत एक गैर सरकारी संगठन द्वारा आयोजित एक सत्र में गया जहाँ ध्यान , योग, निर्वाण, मुक्ति और जीवन के वास्तविक आनंद के बारे में चर्चा हो रही थी। अजीत को इन सब बातों में दिलचस्पी होने लगी और उसने इसे आजमाने का फैसला किया और जैसे जैसे वो ध्यान की अवस्था में जाना प्रारम्भ हुआ तो उसके अंदर की बेचैनी, छटपटाहट, चिंता, गुस्सा, विकार पहले तो एक दम से बढ़ने लगे। वो थोड़ा विचलित हुआ मगर जैसे की वहां गुरुओं ने सबको कह दिया था कि पहले आपके अंदर के विकार बाहर आएंगे जिससे आपको तकलीफ होगी, जैसे ही आपका मन और मस्तिष्क खाली होगा, आपको गहरी शांति का अनुभव होगा , और अजीत ने भी वही महसूस किया।

अपने अंदर के विचारों को सदा ही अच्छा और सकारात्मक करने इच्छा ने उसे विभिन्न किताबों और सेमिनार का पता लगाने के लिए प्रेरित किया। जिन्होंने उसे व्यक्तिगत विकास , संवेदनशीलता और करुणा के बारे में सिखाया। उसने कई धर्मार्थ करने वाली संस्थाओं के साथ अपने आपको जोड़ना शुरू कर दिया जो निर्धनों, वंचितों, महिलाओं, बच्चों और बेसहारा लोगों के लिए काम करते थे। दयालुता के इस कार्य ने उसे अपार खुशी दी और उसके जीवन को एक उद्देश्य दिया, जो उसने पहले कभी अनुभव नहीं किया था।

समय के साथ, अजीत एक अलग व्यक्ति बन गया - दयालु, सहानुभूतिपूर्ण और विचारशील। उसके दोस्तों और सहपाठियों ने बदलाव पर ध्यान दिया और उसमे आये अच्छे बदलाव प्रशंसा की। अनिका उनके सबसे करीबी दोस्त बन गईं और दोनों ने फैसला किया की पढाई जब पूरी कर लेंगे और अपने जीवन में जब सही से स्थापित हो जाएंगे तो विवाह कर लेंगे , मगर उस से पहले अपनी सभी ज़िम्मेदारियों को अच्छी से निभाएंगे। अजीत के जीवन में इस प्रेम का अलग ही अहसास था, उसने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जिस लड़की उसने अपने स्कूल में सताया था , वही उसकी आगे जाकर जीवन साथी बनेगी, मगर अजीत को ये भी पता था कि ये सब अचानक से नहीं हुआ। जब उसने दूसरे लोगों को समझा , उनकी भावनाओं का आदर किया तथा अपने अंदर एक सकारात्मक बदलाव लाया तो चीजें अपने आप ठीक होती चली गयी।

उज्जैन महाकालेश्वर की यात्रा और एक नया पड़ाव

भगवान् शिव के 12 ज्योतर्लिंगो में से एक उज्जैन महाकालेश्वर की महिमा अनंत है। हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और भगवान भोलेनाथ का दर्शन करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। अजीत के स्कूल प्रशासन ने उज्जैन महाकालेश्वर यात्रा की घोषणा की। अजीत इस घोषणा से बहुत उत्साहित था अभी तक उसने केवल फोटो, फिल्मों और किताबों में ही उज्जैन महाकालेश्वर को देखा था, अब उसे अपने जीवन में सौभाग्य मिला है कि वास्तव में वहां जाकर भगवान् शंकर के चरणों में नतमस्तक हो जाए।

यात्रा के दिन, छात्र सुबह जल्दी इकट्ठा हुए, उत्साह के साथ भगवान् भोलेनाथ के जयकारे गूंजते हुए , सभी छात्रों और अध्यापकों ने प्रसन्नता का एक नया ही रूप देखा। अजीत ने अनुभव किया कि कैसे वह वास्तव में इस यात्रा का हिस्सा बनकर खुश था और वह अपने पुराने दिनों जब वो बहुत बदमाशी करता था उस दौर से कितनी दूर आ गया था।

जब सभी लोग उज्जैन पहुंचे, तो भव्य महाकालेश्वर मंदिर की दृष्टि ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। मंदिर परिसर के पूरे वातावरण में निर्मलता, आस्था और आध्यात्मिकता वास था। अजीत के अंदर की आध्यात्मिकता को इस वातावरण ने एक गहरी संतुष्टि प्रदान की और वह मंदिर की सुंदरता और पवित्रता में मगन हो गया।

पूरी यात्रा और दौरे में, अजीत उत्सुक रहा उज्जैन महाकालेश्वर के समृद्ध इतिहास और जगह के महत्व की जिज्ञासा उसके मन में लगातार बढ़ती रही। उसने अपने आपको वहां हो रहे पूजा पाठ, धार्मिक अनुष्ठान और बहुत से सात्विक कार्यों में डुबो दिया। उज्जैन महाकालेश्वर से जुड़ी सांस्कृतिक विरासत को समझने की कोशिश की। अनिका, भी इस यात्रा में उसके साथ थी वो भी समान रूप से इस पवित्र जगह की भव्यता को समझ रही थी और उसको अपने अंदर गहराई से अनुभव कर रही थी। शाम को सारे विद्यार्थयों और अध्यापकों के समूह ने वहां आयोजित किए गए ध्यान और योग सत्रों में भाग लिया। इन गतिविधियों ने अजीत को उसकी आंतरिक शांति को मजबूत करने में मदद की और मन की चेतन भावना को विकसित किया।

यात्रा के अंतिम दिन सभी छात्रों को अपने प्रवास के दौरान कई स्थानीय लोगों के साथ लगाव हो गया था उन सब से एक विदा लेना बहुत भावुक पल था , मगर जैसा कि सब जानते हैं जीवन का एक लक्ष्य ये भी है रुको नहीं चलते जाओ। अजीत को यह देखकर खुशी हुई कि दया और सम्मान के सरल कार्य लोगों के बीच एकता और सद्भाव की भावना पैदा कर सकते हैं।

फिर यात्रा समाप्ति के बाद अब समय था अपने घर लौटने का तो तीन दिन की इस यात्रा ने अजीत के मन में जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण बना दिया था , अब अजीत का लक्ष्य लोगों की सहायता, जन कल्याण और स्वार्थ रहित जीवन था। घर लौटने पर अजीत ने अपने मन में जीवन के इस नए उद्देश्य के प्रति कृतज्ञता की भावना महसूस की। उज्जैन महाकालेश्वर की यात्रा ने उसे बेहतर व्यक्ति होने के साथ साथ अध्यात्म और परमार्थ के जीवन को जीने की अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया।


स्कूल में अजीत ने अपने सकारात्मक रिश्तों को बढ़ावा देना जारी रखा और अपनी परिवर्तनकारी अनुभव के साथ अपने सहपाठियों को प्रेरित किया। उसने यात्रा के दौरान सीखे गए अनुभवों को साझा किया, जिसमें आत्म-सुधार, ध्यान और दूसरों की मदद करने के महत्व पर जोर दिया गया।

जैसे -जैसे समय बीतता गया, अजीत का प्रभाव उसके दोस्तों के साथ साथ पूरे स्कूल में बढ़ गया। वह युवा छात्रों के लिए एक रोल मॉडल बन गया और यहां तक कि स्कूल की संस्कृति पर सकारात्मक प्रभाव के लिए जब भी कोई आयोजन, समारोह या फिर कोई कार्यक्रम होता था तो सभी छात्र और स्कूल प्रशासन अजीत को इन कार्यों में अपना योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करता और अजीत भी ऐसे हर कार्य में सम्मिलित होता और अपने योगदान देता जिससे उसके व्यक्तित्व में अधिक दृढ़ता, ठहराव और शांति आती।


उज्जैन महाकालेश्वर की यात्रा अजीत के लिए केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं थी नहीं थी बल्कि यह एक जीवन बदलने वाला अनुभव था जिसने आत्मज्ञान और आत्म-जागरूकता के प्रति अजीत के मार्ग को फिर से निश्चित किया। उसने सीखा कि किसी का अतीत अगर दोषपूर्ण है तो इसका ये अर्थ नहीं की वो उस भूतकाल के समय को लेकर रोता रहे और उन्ही गलतियों को बार बार करे। जीवन में हर किसी को अवसर मिलता है आत्म-सुधार और आत्म विश्लेषण का, इसलिए ऐसे अवसरों को कभी हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। आपका भविष्य तभी उज्जवल होगा जब आप वर्तमान में निरंतरता के साथ सही दिशा में कार्य करेंगे और उसके साथ आपकी मानसिकता भी सकारात्मक होनी चाहिए।

अजीत का दृढ निश्चय: बाढ़ के पानी के बीच ताकत का पता लगाना

कहते हैं जीवन में अगर सब कुछ सीधा चल रहा है, कोई परेशानी, तकलीफ, चोट या दर्द न हो तो उसका कोई मतलब नहीं रह जाता। कठिनाइयां दो ही काम कर सकती हैं या तो लोगों को तोड़ कर उनको हरा सकती है , या फिर लोगों को मजबूत बनने का अवसर देती हैं। इसी तरह से जुलाई 2023 मे भारत के कई राज्यों में भारी बारिश के वजह से बाढ़ का खतरा बढ़ने लगा।

पश्चिम बंगाल के साथ उत्तर पूर्वी राज्यों में भारी वर्षा और विनाशकारी बाढ़ के बीच, अजीत का परिवार उन लोगों में से था, जिन्होंने खुद को अराजकता में फंसा पाया। कई लोगों का घर डूब गया था, और उन्होंने अपना अधिकांश सामान खो दिया था। लेकिन अजीत के लिए सबसे अधिक दिल दुखाने की खबर यह थी कि उसकी छोटी बहन नीलम गायब थी।

बाढ़ ने पूरे कम्युनिकेशन नेटवर्क को विफल कर दिया था, जिससे अजीत ,उसके माता पिता के लिए और बाढ़ में फसे लोगों के लिए मदद पहुंचना मुश्किल हो गया। स्थानीय पुलिस स्टेशन लापता व्यक्तियों की रिपोर्टों से भरा हुआ था। लेकिन अजीत ने अपने आपको संभाला और हिम्मत के साथ प्रयास करने लगा कि कैसे अधिक से अधिक लोगों को बचाया जा सके, वो अलग बात थी कि वो अपने परिवार के साथ खुद मौत के हालातों का सामना कर रहा था। वह जानता था कि मूर्खतापूर्ण रोने से और निराशाजनक बैठने से उसके परिवार या किसी और को इस गंभीर स्थिति में मदद नहीं मिलेगी। अजीत की बहन सहित 253 से अधिक लोगों की लापता या मृत होने की खबर उस पर भारी पड़ गई। उसके दिल में दर्द अपार था, लेकिन अजीत को पता था कि उसे मजबूत रहना है और दूसरों की मदद करना जारी रखना है।


इसके बजाय, अजीत ने लोगों को बचाने, उन तक राहत और मदद का प्रयास करने का फैसला किया। हालाँकि जो वो कह रहा था ऐसा उस स्थिति में करना तो दूर सोचना भी अपने आप में पागलपन था और साहसी भी। अज़ीत ने अटूट दृढ़ संकल्प के साथ खुद को बचाव के प्रयासों में फेंक दिया। उन्होंने एनडीआरएफ और सेना के कर्मियों के साथ -साथ अथक परिश्रम किया, बचे लोगों की खोज की और जरूरतमंद लोगों को सहायता प्रदान की। अपनी बहन के बारे में दुख और चिंता के बावजूद, अजीत ने अपनी भावनाओं को दूसरों की मदद करने के लिए समर्पित कर दिया।

उसने अपने साथी बाढ़ पीड़ितों की आंखों में दर्द और निराशा को देखा था, और वह उन्हें पीड़ित देखने के लिए सहन नहीं कर सकता था। एक शरारती लड़के से एक दयालु और सहायक व्यक्ति में बदलने के अपने स्वयं के अनुभवों पर आधारित, अजीत को पता था कि उसे अपने आसपास के सभी लोगों के लिए मजबूत होना है।

उसने कुछ लोगों को इकट्ठा किया और एक अस्थायी सामुदायिक सहायता केंद्र बनाया, जहां पीड़ित लोग अपनी जानकारी साझा कर सकते हैं, एक दूसरे को भावनात्मक रूप से समर्थन कर सकते हैं, और जरूरतमंद लोगों के लिए बुनियादी आवश्यकताएं प्रदान कर सकते हैं। सभी लोगो ने एक दुसरे का दर्द समझा और अपने को दुसरे से अलग नहीं समझा, बाढ़ का पानी कम हुआ तो सभी ने अपने बचे खुचे सामानों से पानी को कम करने प्रयास किया।


अजीत के अकाउंट में उसकी ₹10,000 रूपए की पॉकेट मनी थी जो करीब 2 साल से वो जमा कर रहा था बिना देर लगाए उसने घोषणा की वो अपनी पॉकेट मनी को सबकी सहायता में खर्च करेगा, और उसने बहुत से लोग जो उसके गाँव में सक्षम थे और धनवान थे, जिनका शायद अभी भी उतना नुकसान नहीं हुआ था क्योंकि उनके अधिकतर पैसे अकाउंट में ही थे, उनसे विनती की कि इस विपदा के समय दिल खोलकर मदद करे, स्वार्थ को हटाकर परमार्थ करे क्योंकि परमार्थ ही भगवान् के सबसे बड़ी सेवा है। अजीत से प्रेरित होकर सभी सक्षम व्यक्तयों ने वैसे ही किया। उसके साथ साथ अजीत ने सरकार से संपर्क करने के अपने प्रयासों को जारी रखा। अजीत ने उल्लेखनीय नेतृत्व गुण दिखाए क्योंकि उसने शांत मन और हिम्मत से राहत या और बचाव कार्यों में अपना सहयोग देने का एक साहसिक और प्रशंसनीय कार्य किया था साथ आस पास के लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया।


जैसे -जैसे स्थिति धीरे -धीरे नियंत्रण में आई, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और भारतीय सेना के प्रयासों ने बाढ़ से प्रभावित कई लोगों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अजीत के धैर्य और शांत आचरण का उसके आसपास के लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ा। अराजकता और तबाही के बीच, उसकी उपस्थिति ने उन लोगों के अंदर आशा और ताकत की भावना ला दी जिन्होंने सब कुछ खो दिया था। वो अक्सर लोगों के साथ बैठता हैं, उनकी कहानियों को सुनता और उन्हें याद दिलाता था कि वे इस संघर्ष में अकेले नहीं हैं। इन सब के बीच अजीत को उसकी बहन नीलम की बहुत चिंता हो रही थी , नीलम को खोये हुए 20 दिन हो गए थे , मगर लोगों के राहत और बचाव कार्य में व्यस्त होने के कारण वो अपनी बहन को ढूंढने का प्रयास नहीं कर पाया।

जैसे -जैसे दिन बीतते गए और हालात थोड़े ठीक होने लगे तो उसने, अपनी बहन, नीलम को खोजने के लिए प्रयास करने शुरू कर दिए। वह जानता था कि इस काम को वह अकेले नहीं कर सकता है, इसलिए उसने स्वयंसेवकों और स्थानीय अधिकारियों से मदद मांगी, जो धीरे -धीरे बचाव प्रयासों में सहायता करने के लिए आ रहे थे। इस कठिन समय के दौरान, अजीत ने अपने दिमाग को स्पष्ट और एकाग्र रखने के लिए अपने ध्यान अभ्यास पर भी भरोसा किया। ध्यान के अभ्यास ने उसे संकट की स्थितियों में धैर्य का महत्व सिखाया था। इन हालातों ने उसे से अधिक स्पष्ट रूप से सोचने और असहाय लोगों की सहायता के लिए बेहतर निर्णय लेने की शक्ति प्रदान की।

क्योंकि अजीत ने अपनी बहन नीलम के खोने की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी तो एक दिन स्थानीय पुलिस अधिकार सौरभ वाल्मीकि का अजीत के पास फ़ोन आता है और वो कहते हैं "राहत और बचाव कार्यों के दौरान उनको एक सहायता केंद्र में एक लड़की दिखी जिसकी शक्ल तुम्हारी बहन से मिलती है और उसने वही कपडे पहने हैं जो तुमने यहाँ रिपोर्ट में ब्यौरा दिया था , एक बार यहाँ आ जाओ मैं तुम्हे उस सहायता केंद्र का पता भेज रहा हूँ और मैं भी वहां पहुंच रहा हूँ " खबर सुनते ही अजीत ख़ुशी से रोने लगा मगर मन ही मन, ताकि उसको कोई देख न ले। माँ और पिता ने पुछा , "बेटा किसका फोन था, क्या नीलम के बारे में कुछ पता चला ", और थोड़ा रुक कर अपनी भावनाओं को शांत करके पहले उसने आसमान को देख कर हाथ जोड़े और कहा "माँ पिता जी मैं कहता था ना कि हमें अपने से अधिक लोगों की भलाई में ध्यान देना चाहिए , और बाकी सब भगवान् के हाथ में है , आज भगवान् ने हमको हमारी सेवाओं के लिए अपना आशीर्वाद दिया है, चलिए नीलम का पता चल गया है " ये सुनकर कुछ देर दोनों अजीत के गले लिपटकर रोने लगे और फिर जाने की तैयारी करने लगे।


नीलम को वहां आश्रय में सुरक्षित पाया गया था, जो बाढ़ की अराजकता के दौरान अपने परिवार से अलग हो गया था। अजीत और उसके परिवार को बहुत खुशी हुई, और उन्होंने एक -दूसरे को राहत और कृतज्ञता के आँसू के साथ गले लगा लिया। बाढ़ के अनुभव का अजीत और पूरे समुदाय पर गहरा प्रभाव पड़ा। वे एक संयुक्त मोर्चे के रूप में एक साथ आए थे, एक दूसरे का साथ देते हुए इस मुसीबत को अपने जीवन से भगा दिया। अजीत ने अपने जन कल्याण के कार्यों को करना जारी रखा। वह उन संगठनों में शामिल हो गया बाढ़ के बाद घरों के पुनर्निर्माण पर सहायता करते थे और उन लोगों को सहायता प्रदान करते थे जिन्होंने सब कुछ खो दिया था। उसके समर्पण और दया भाव ने कई अन्य लोगों के जीवन को बचाने के साथ साथ उनको दोबारा से व्यवस्थित करने में मदद की।

बाढ़ के बाद, पूरे क्षेत्र लोगों की समझ और अजीत के दृष्टिकोण में एक नया अनुभव जुड़ गया। अब लोगों के अंदर स्वार्थ की भावना का संचार काम हो रहा था , लोग खुद से पहले औरों के लिए काम करने को लालायित थे। सहयोग और आत्मनिर्भरता की शक्ति सबके अंदर एकत्व की भावना भर दी थी अजीत ने प्रकृति के रोष का सबसे बुरा समय देखा था, लेकिन मानव आत्मा की ताकत और संकट के समय में एक साथ आने की शक्ति भी देखी थी।

बाढ़ एक विनाशकारी घटना थी, लेकिन यह अजीत के जीवन में एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी बन गया। उसने धैर्य, करुणा और दूसरों की मदद करने के वास्तविक मूल्य का एहसास किया। इस पूरे अनुभव ने आस पास के पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।

अजीत एक टूर गाइड और हेल्पिंग गुरु

अजीत ने अपनी 12 वीं कक्षा को 70% अंकों के साथ पास किया, और समय था की आगे की पढाई के लिए कॉलेज और विषय चुनना। हालाँकि उसके अधिकांश दोस्त विज्ञान या वाणिज्य के क्षेत्र में पढ़ाई को चुन रहे थे। एक ट्रेवल और टूर गाइड बनने का फैसला किया, इसलिए उसने कॉलेज में आर्ट्स ली और ऐसा करके उसने सभी को आश्चर्यचकित किया। वह गहराई से जानता था कि उसका सच्चा जुनून दुनिया की खोज करने और एक यात्री या टूर गाइड बनने में है।

जब अजीत ने अपने माता -पिता के साथ अपने फैसले को बताया, तो उन्हें शुरू में, इस पेशे की अनिश्चितताओं के बारे में बहुत चिंता हुई। लेकिन उन्होंने अजीत के दृढ़ संकल्प की प्रशंसा की और उसे अपने लक्ष्य को छोड़ने के लिए मजबूर नहीं करने का फैसला किया।

उसने अपने सहपाठियों दिलीप, अनिका और संदीप के साथ अपनी भविष्य की योजनाओं को बताया, और वो सभी उसकी करियर की पसंद जानते थे। दिलीप ने कहा, " मुझे पता था की तुम ट्रेवल से ही सम्बंधित कोई करियर चुनोगे, मैं तुम्हारे लिए बहुत खुश हूँ , आशा है कि हम सब एक दूसरे से जुड़े रहेंगे और यहाँ से जाने के बाद भी " अनिका ने कहा, "हाँ, तुम्हे हमेशा नई जगहों की खोज करना पसंद है। मुझे यकीन है कि तुम एक शानदार टूर गाइड बनोगे।" अजीत ने तपाक से कहा "मिस अनिका भूलो मत, आगे की ज़िन्दगी आपको इस टूर गाइड के साथ ही बितानी है, तो सोच लो अभी भी समय है, चाहे तो अपना इरादा बदल लो और कोई और सेटल्ड व्यक्ति के साथ शादी कर लेना, क्योंकि मैं तो खाना बदोश रहूंगा ज़्यादातर समय, तुम मुझे झेल पाओगी। स्कूल की बात अलग है मगर , ये जीवन में थोड़ा बहुत प्रैक्टिकल सोचना पड़ता है, तुम मेरे जैसे घुमक्कड़ आदमी के साथ परेशान हो जाओगी "

अनिका ने थोड़े गुस्से वाले लहजे में कहा " ओ हेलो मिस्टर टूर गाइड ये सफर तुम अकेले कर नहीं सकते समझे ? सोचना भी मत, जहाँ जाओगे ना साथ में चलूंगी, चाहे कुछ भी हो जाए, और फिर कभी ये बकवास मत करना, शादी होगी तो तुमसे नहीं तो किसी से नहीं " अजीत ने स्थिति को सँभालते हुए कहा, " अच्छा अच्छा बाबा माफ़ कर दो, नहीं कहूंगा, बस कुछ साल और इंतज़ार करो मेरा, फिर तैयार रहना मेरे साथ घुमक्कड़ी करने के लिए " दोनों के दोनों मुस्करा दिए, तभी संदीप और दिलीप एक साथ बोले " ओ हेलो मिस्टर एंड मिसेज अजीत, अपनी प्रेम कहानी बाद में सुनाना, अभी गले मिलो यारों " फिर अजीत ने कहा " हाँ यार सही कहा " संदीप, अभी भी स्कूल के दोस्तों से बिछड़ने के बारे में सोच कर भावुक हो जाता है और अजीत से कहता है, "बस हमसे वादा करो कि तुम अपने सपने को जीने के बाद हमें नहीं भूलोगे
अजीत मुस्कुराया और जवाब दिया, "बेशक, दोस्तों! कोई फर्क नहीं पड़ता कि जीवन मुझे कहाँ ले जाता है, तुम सभी हमेशा मेरे दिल के करीब रहेंगे। हम निश्चित रूप से मिलेंगे जब भी हम मिल सकते हैं, भले ही यह भले ही यह हर बार मुमकिन नहीं मगर दोस्ती तो ज़िन्दगी भर रहेगी, है ना?"

अजीत ने फिर आगे की पढाई और अपने लक्ष्य की ओर काम करना शुरू कर दिया। उसने खुद को संस्कृतियों, इतिहास और लोगों की विविध दुनिया के बारे में जाने को उत्सुक पाया, यही अब उसका किरदार था। उसने अपने आपको प्राचीन खंडहरों में, यात्रियों के समूहों में, हलचल भरी सड़कों में, बड़े बड़े पहाड़ों, रेतीले मैदानों, बर्फीले रास्तों, हरियाली बिखराती हुए फसलों और दुनिया भर की मनोरम कहानियों के अंदर पाया और इसलिए, अजीत की यात्रा जारी रही, वो हमेशा से इन सब चीजों के लिए ज़िद्दी था जैसे की एक ट्रैवलर बनने के लिए, दुनिया के चमत्कारों को उन लोगों के साथ साझा करते हुए जो उसे रास्ते में मिले थे।

अजीत ने यात्रा और पर्यटन के विभिन्न कोर्सेज में प्रशिक्षण लिया, जिसमें यात्रा कार्यक्रम, टूर प्रबंधन, टूर गाइडिंग और ग्राहक सेवा शामिल हैं। अजीत ने नए दोस्त भी बनाए और अपने बैचमेट्स के साथ कई असाइनमेंट में काम किया। उसने सभी के साथ अध्ययन किया, भारत की जीवंत संस्कृति के बारे में जाना और अपने यात्रा करियर में आगे बढ़ने वाली अंतहीन संभावनाओं को खोजा

अजीत ने बहुत सी जगह के लिए यात्रा करने यात्रियों के समूहों का नेतृत्व किया, उसने यात्रा और उस से जुड़े अपने जुनून को साझा करने में अपार खुशी पाई। प्रत्येक दिन नए अनुभव पाए। कड़ी मेहनत, समर्पण और यात्रा के लिए उसके अटूट प्रेम से, अजीत ने जल्दी से ट्रेवल इंडस्ट्री में अपने लिए एक नाम बनाया। अपने ग्राहकों के लिए उसके उत्साह और सेवा भाव ने सहयोगियों और यात्रियों दिल में समान रूप से जगह बनाई जैसे -जैसे साल बीतते गए, अजीत ट्रेवल इंडस्ट्री में तरक्की करता रहा। उसके समर्पण, उत्साह और अनुभव ने उसे सर्वश्रेठ टूर गाइड बनाया। उसे अपने अच्छे काम के लिए ग्राहकों, साथी और यहां तक कि मीडिया से भी प्रशंसा मिली। अजीत वह अपने परिवार और दोस्तों के सहयोग को कभी नहीं भूल पाया, जो उसकी पूरे जीवन की यात्रा में उसके साथ हमेशा खड़े थे। उसके सपनों में दोस्तों और परिवार का अटूट प्रोत्साहन और विश्वास ने उसकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अपने खाली समय में, अजीत ने सामाजिक और पर्यावरणीय कारणों में योगदान दिया।


अजीत की कहानी के समापन में, वह उस बचपन के लापरवाह, स्वार्थी, नासमझ और जिद्दी लड़के से एक लंबा सफर तय कर के एक सरल, प्रसिद्द, विनम्र और ज़िम्मेद्दार व्यक्ति बन चुका था। अपनी यात्रा के प्रत्येक चरण के साथ, अजीत ने साबित कर दिया कि, बदलाव आपको खुद लाना पड़ता है, दुनिया आपको सिर्फ दिशा दे सकती है, लेकिन कौन सी दिशा और कौन सा सफर चुनना है ये केवल आपके हाथ में है। एक बुरी सोच का व्यक्ति भी अपने अंदर की बुराई को ख़तम कर सकता है यदि वह चाहे तो।