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हारा हुआ व्यक्ति भी जीत सकता है
हारा हुआ व्यक्ति भी जीत सकता है
यदि अनवरत प्रयास करे तो
मगर गिरी हुई सोच का व्यक्ति
कभी नहीं उठ सकता।
भूख सर्दी से कम नहीं
वो ठिठुरता हुआ कूड़ा बीनता है सर्दी में
उसे पता है कि भूख सर्दी से कम नहीं कहां सुनवाई होती है गरीब की यहां पर
उनका दर्द...
माणा गाँव : भारत का अंतिम गाँव जो अपने आप में...
माणा गाँव हिमालय में भारत और तिब्बत / चीन की सीमा से एक अंतिम भारतीय गाँव है। माणा...
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पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित एक छोटे गाँव अहिरीटोला में अजीत नाम का एक जिद्दी, शरारती, लापरवाह और निकम्मा लड़का रहता था। वह अपनी बदमाशी और...
पुराने दिनों में जहाँ यादें बसती हैं,
जहां अतीत की फुसफुसाहट हमेशा के लिए सरक जाती है,
और समय के गलियारों के माध्यम से एक कोमल हवा, मेरे मानस पर छा जाती है
तभी एक विचलित और मीठे से विषाद का स्पर्श
मेरे...
तेजी से वैश्वीकरण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की विशेषता वाले युग में, वैदिक सनातन धर्म, इसके अनुष्ठानों और भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत के प्रति बढ़ती अलगाव और उपेक्षा को देखना निराशाजनक है। इस ब्लॉग का उद्देश्य उस विकृत मानसिकता...
जीवन की भी क्या विडंबना है कि काम और रोजगार के लिए आदमी को अपनी मातृभूमि या यूं कहें अपने गाँव को छोड़ना पड़ता है ... शहर की गलियों, मकानों और दफ्तरों में अपने पैरों को रगड़ना पड़ता है...
वक्त तू मुझे कहता है चलने को
और खुद है कि रोज़ दौड़ लगाता है अभी पड़े हैं हम घर के किसी कोने में
बिस्तर का रोग कोई और लगाता है बनेगी बात तो बता देंगे तुमको
मन अभी से क्यों शोर मचाता है सुस्त...
ये इश्क़ भी बड़ा अजीब है
जो दिल से दूर है उसके करीब है वो मेरे सामने अमीरी का शौक दिखाते हैं
मगर मेरी शख़्सियत तो बड़ी ज़हीन है पा भी लेंगे उसे ऐसा तो भरोसा है खुद पर
बाकी तो देखो सबका अपना...
आज का भारत जहाँ विश्व को रास्ता दिखा रहा है और नए - नए कीर्तिमान गढ़ रहा है, वहीँ देश में विद्रोही ताकतों को ये रास नहीं आ रहा है। आये दिन नए विवादों से देश की अखंडता को...
हम लड़खड़ाते ज़मीर को सहारा देते हैं
अपने सड़े हुए जिस्म को साया देते हैं रूह तो फिर भी पाक साफ रहती है
शरीर को नकली सांस और हवा देते हैं सामान कुछ रहा था मेरा उनके पास
पर वो अश्कों की किश्तों का...
“विनम्रता कभी दुर्बलता नही हो सकती बल्कि वह तो व्यक्ति की सरलता का परिचायक है”। ब्रजेश जी की टिपण्णी:
परंतु आज के दौर में विनम्रता कमजोरी का पर्याय बनकर रह गया हैं। विनम्र व्यक्ति को कोई भी धमका जाता हैं। उतर:
विनम्रता भी...
मुकम्मल भी हुआ तो क्या हुआ
ये इश्क़ है अपनी नादानी कहां छोड़ता है कभी तो खयालों को बसाता है
और कभी सारे सपनो को तोड़ता है पन्ने पलटने में देर नहीं लगती
और हवाओं का रूख भी मोड़ता है अकेले बैठे ये सोचता हूं...