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साँझ का एक टुकड़ा
टूटी हुई शाखें दरख़्त के मायने तलाशती हैं
बिखरी हुई पत्तियां मिटटी के घरोंदे सजाती है कभी जो अनजाने में तुमसे गलती हो गई
पल भर मे...
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मधुर विषाद
पुराने दिनों में जहाँ यादें बसती हैं,
जहां अतीत की फुसफुसाहट हमेशा के लिए सरक जाती है,
और समय के गलियारों के माध्यम से एक कोमल...
संस्कृति से अलगाव की विकृत मानसिकता ही मानवीय संवेदनाओ के पतन...
तेजी से वैश्वीकरण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की विशेषता वाले युग में, वैदिक सनातन धर्म, इसके अनुष्ठानों और भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत के प्रति...
मकर संक्रांति का पर्व मेरे गाँव की छाँव में
जीवन की भी क्या विडंबना है कि काम और रोजगार के लिए आदमी को अपनी मातृभूमि या यूं कहें अपने गाँव को छोड़ना पड़ता...
ये इश्क़ भी बड़ा अजीब है
ये इश्क़ भी बड़ा अजीब है
जो दिल से दूर है उसके करीब है वो मेरे सामने अमीरी का शौक दिखाते हैं
मगर मेरी शख़्सियत तो बड़ी...
जेएनयू का जहरीला जातिवाद: ब्राह्मणों और सवर्णों का अपमान
आज का भारत जहाँ विश्व को रास्ता दिखा रहा है और नए - नए कीर्तिमान गढ़ रहा है, वहीँ देश में विद्रोही ताकतों को...
मुकम्मल भी हुआ तो क्या हुआ
मुकम्मल भी हुआ तो क्या हुआ
ये इश्क़ है अपनी नादानी कहां छोड़ता है कभी तो खयालों को बसाता है
और कभी सारे सपनो को तोड़ता है पन्ने...