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छोटे शहरों, गाँवो और कस्बों से आए हुए लोग

छोटे शहरों, गाँवो और कस्बों से आए हुए लोग... न जाने कितने अरमानो का भारी बोझ लिए मुंबई, दिल्ली, कलकत्ता, बैंगलोर जैसे बड़े शहरों...

ये धूप चटक होती है

ये धूप चटक होती है यूं सर्द गरम होती है अब शाम की फुहारों में दिन रात जलन होती है यूं शहर भी सूना पड़ा ये दर्द भी दूना...

बदलता जीवन

बदले है घर के परिवेश बढ़ रहे हर जगह है क्लेश हो रहा है क्यों ये राग - द्वेष अब बचा नहीं कुछ भी है शेष क्यों रिश्ते...

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