होती है खामोशी जब खता अपनी हो
होती है खामोशी जब खता अपनी हो
इल्ज़ाम दूसरों पर हो तो हंगामा होता है उसके ज़हन से ये बात उतरी नहीं अभी तक
कि इश्क़ मे...
हारा हुआ व्यक्ति भी जीत सकता है
हारा हुआ व्यक्ति भी जीत सकता है
यदि अनवरत प्रयास करे तो
मगर गिरी हुई सोच का व्यक्ति
कभी नहीं उठ सकता।
बिखरा – बिखरा सब हिल गया है
बिखरा - बिखरा सब हिल गया है
टुकड़ा टुकड़ा मेरा दिल हुआ है
सपनो के इस आकाश में
उड़ता पंछी गिरने लगा है बंजर इस धरती का कोना
किसने...
मधुर विषाद
पुराने दिनों में जहाँ यादें बसती हैं,
जहां अतीत की फुसफुसाहट हमेशा के लिए सरक जाती है,
और समय के गलियारों के माध्यम से एक कोमल...
संस्कृति से अलगाव की विकृत मानसिकता ही मानवीय संवेदनाओ के पतन का प्रमुख कारण...
तेजी से वैश्वीकरण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की विशेषता वाले युग में, वैदिक सनातन धर्म, इसके अनुष्ठानों और भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत के प्रति...
मकर संक्रांति का पर्व मेरे गाँव की छाँव में
जीवन की भी क्या विडंबना है कि काम और रोजगार के लिए आदमी को अपनी मातृभूमि या यूं कहें अपने गाँव को छोड़ना पड़ता...
खाक बड़ा था ये समंदर भी
खाक बड़ा था ये समंदर भी
एक बूंद भी तिश्नगी इस से नहीं बुझी बढ़ाए थे अपने कदम कि रास्ते मिलेंगे
पर जाने क्यों अपनी मंजिलें नहीं...
मैं निर्मोही हो चला हूँ
मैं निर्मोही हो चला हूँ
जीवन की समस्त यातनाओं का वृतांत सुनाने,
मैं अपनी भाव भंगिमा को संभाले,
नयनों से नीर का बहाव रोकने चल पड़ा हूँ
मैं...
भानगढ़ किले का रहस्य – जाने भुतहा होने की असल कहानी
भानगढ़ किले की स्थापना सवाई माधो सिंह ने 1631 में अलवर राजस्थान में की थी। कुछ लोग कहते हैं कि काले जादू के तांत्रिक...
[td_block_social_counter custom_title=”STAY CONNECTED” facebook=”tagdiv” twitter=”tagdivofficial” youtube=”tagdiv” open_in_new_window=”y” border_top=”no_border_top”]
FEATURED
MOST POPULAR
बचपन का दुर्गापूजा
प्रत्येक व्यक्ति जब वो अपने बचपन को जी रहा होता है उस के लिए उमंग-उत्साह का त्यौहार है दुर्गापूजा। प्रातः काल स्नान करके दुर्गापूजा और...
LATEST REVIEWS
इस ज़माने की गर्द से हीरा तराशा है
इस ज़माने की गर्द से हीरा तराशा है
एक तेरी रूह सच है बाकी सब तमाशा है
मैं निर्मोही हो चला हूँ
मैं निर्मोही हो चला हूँ
जीवन की समस्त यातनाओं का वृतांत सुनाने,
मैं अपनी भाव भंगिमा को संभाले,
नयनों से नीर का बहाव रोकने चल पड़ा हूँ
मैं...