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इस ज़माने की गर्द से हीरा तराशा है
इस ज़माने की गर्द से हीरा तराशा है
एक तेरी रूह सच है बाकी सब तमाशा है
ये सांस का मुकद्दर भी कहां तक रहेगा
ये सांस का मुकद्दर भी कहां तक रहेगा
वहीं, जहां धड़कनों का सैलाब बहेगा उनको कहां किस बात की कमी होगी यारों
घरों में जब उनके सोना...
TRAVEL
मिरे तकिये मे कई रातें बिखरती हैं
मिरे तकिये मे कई रातें बिखरती हैं
लब ग़ुलाम हैं और शिकायतें सुलगती है पूरे चाकचौबंद...
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FOOD
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ये सांस का मुकद्दर भी कहां तक रहेगा
ये सांस का मुकद्दर भी कहां तक रहेगा
वहीं, जहां धड़कनों का सैलाब बहेगा उनको कहां किस बात की कमी होगी यारों
घरों में जब उनके सोना...
जिंदगी पेचीदा है, शहर बज़्म से सजा है
जिंदगी पेचीदा है, शहर बज़्म से सजा है
मेरे रुआब में कोई गर्द सा सटा है गैर जरूरी शिकवे यहां पुरजोर हैं
और तल्खियों का अलग मसला...
दिलों में इरादों की मशाल लेकर चलता हूं
कभी अपनी धुन में कभी बेपरवाह रहता हूं
मैं परिंदों सा उड़ने का हौसला रखता हूं मुझे यकीन है कि कई लोग बड़े परेशान हैं
मैं बस...
दिलासा क्या दूँ दिल को
दिलासा क्या दूँ दिल को, ये भटक रहा है
किसी और की सरपरस्ती में उछल रहा है जानता हूँ मैं ये कि गलत राह पर हूँ
फिर...
शरीर थक गया, वहम का आगोश है
शरीर थक गया, वहम का आगोश है
और लोग कहते हैं जिंदगी में जोश है चीख कर दुनिया ने मेरा दर्द देखा
और अपने अभी तक खामोश...
धड़कने बयां करती है ज़िन्दगी की किश्तें
धड़कने बयां करती है ज़िन्दगी की किश्तें
सांसों का गुच्छा अब टूट रहा है आगजनी होती है सोच में सभी के
गुस्सा अब बेधड़क फूट रहा है जो...
खुल रहे है दस्तावेज तो चिढ रहे हो
सांप से ही दोस्ती पाली थी हमने
चांवल की बोरी में धंसकर मरोगे जिरह क्या करना जब सुनवाई नहीं है
बेकार में क्यों किसकी दलीले सुनोगे वक़्त होते...
रोज़ देखता हूँ आसपास तो
रोज़ देखता हूँ आसपास तो
सवालों से भरे चेहरे परेशां करते हैं
वही बेचैनी, वही नाकामयाबी और वही फितूर
इतने सारे जज़्बात भी हैरान करते हैं चलते हुए...
समर्थ व्यक्ति
समर्थ व्यक्ति वो नहीं जिसके पास अपार धन और वैभव है बल्कि समर्थ वो है जो आलोचना को स्वीकार करने का माद्दा रखता हो...