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अजीत : हार से जीत की तरफ

Mahakaleshwar mandir, Ujjain

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित एक छोटे गाँव अहिरीटोला में अजीत नाम का एक जिद्दी, शरारती, लापरवाह और निकम्मा लड़का रहता था। वह अपनी बदमाशी और दूसरों को परेशान करने के लिए जाना जाता था। अजीत को हमेशा दूसरों का मजाक उड़ाने में खुशी मिलती थी...

मधुर विषाद

sweet nostalgia

पुराने दिनों में जहाँ यादें बसती हैं, जहां अतीत की फुसफुसाहट हमेशा के लिए सरक जाती है, और समय के गलियारों के माध्यम से एक कोमल हवा, मेरे मानस पर छा जाती है तभी एक विचलित और मीठे से विषाद का स्पर्श मेरे मन को झिंझोड़ कर मुझे उदास कर देता हैं, ओह कैसा सुन्दर अनुभव है ये! बीते दिनों के इन पवित्र पलों...

संस्कृति से अलगाव की विकृत मानसिकता ही मानवीय संवेदनाओ के पतन का प्रमुख कारण है

संस्कृति से अलगाव

तेजी से वैश्वीकरण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की विशेषता वाले युग में, वैदिक सनातन धर्म, इसके अनुष्ठानों और भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत के प्रति बढ़ती अलगाव और उपेक्षा को देखना निराशाजनक है। इस ब्लॉग का उद्देश्य उस विकृत मानसिकता पर प्रकाश डालना है जो इस अलगाव को बढ़ावा देती है और इसका मानवीय संवेदनाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है,...

मकर संक्रांति का पर्व मेरे गाँव की छाँव में

Makar Sankranti

जीवन की भी क्या विडंबना है कि काम और रोजगार के लिए आदमी को अपनी मातृभूमि या यूं कहें अपने गाँव को छोड़ना पड़ता है ... शहर की गलियों, मकानों और दफ्तरों में अपने पैरों को रगड़ना पड़ता है कि कहीं यहां पर भी बसेरा हो जाए। शिक्षा एवं रोजगार के कारण गाँव के आँगन सुने हो गए, दालानों-खलिहानो...

ठौर

Place

वक्त तू मुझे कहता है चलने को और खुद है कि रोज़ दौड़ लगाता है अभी पड़े हैं हम घर के किसी कोने में बिस्तर का रोग कोई और लगाता है बनेगी बात तो बता देंगे तुमको मन अभी से क्यों शोर मचाता है सुस्त तबीयत बहुत ढीला काम करती है जाने क्यों मेरा बदन फिर जोर लगाता है कौन है यहां पर कलम का दीवाना ये तो...

ये इश्क़ भी बड़ा अजीब है

The Sunset View Point in Sirauna

ये इश्क़ भी बड़ा अजीब है जो दिल से दूर है उसके करीब है वो मेरे सामने अमीरी का शौक दिखाते हैं मगर मेरी शख़्सियत तो बड़ी ज़हीन है पा भी लेंगे उसे ऐसा तो भरोसा है खुद पर बाकी  तो देखो सबका अपना नसीब है वो आते हैं तो हम नज़रों को बिछा लेते हैं वो उनकी नज़ाकत और ये हमारी तहज़ीब है वो पलकों को...

जेएनयू का जहरीला जातिवाद: ब्राह्मणों और सवर्णों का अपमान

JNU

आज का भारत जहाँ विश्व को रास्ता दिखा रहा है और नए - नए कीर्तिमान गढ़ रहा है, वहीँ देश में विद्रोही ताकतों को ये रास नहीं आ रहा है। आये दिन नए विवादों से देश की अखंडता को चुनौती दी जाती है। कभी हिजाब के मुद्दे पर देश के संविधान को चुनौती दी जाती है। कभी तालिबानी गला...

किराया

hand of man on fence with nature

हम लड़खड़ाते ज़मीर को सहारा देते हैं अपने सड़े हुए जिस्म को साया देते हैं रूह तो फिर भी पाक साफ रहती है शरीर को नकली सांस और हवा देते हैं सामान कुछ रहा था मेरा उनके पास पर वो अश्कों की किश्तों का बकाया देते हैं खामोशी का भी अपना सुरूर होता है और वो लोग फिर भी शोर को बढ़ावा देते हैं उन्होंने तो रब...

विनम्रता

Politeness

“विनम्रता कभी दुर्बलता नही हो सकती बल्कि वह तो व्यक्ति की सरलता का परिचायक है”। ब्रजेश जी की टिपण्णी: परंतु आज के दौर में विनम्रता कमजोरी का पर्याय बनकर रह गया हैं। विनम्र व्यक्ति को कोई भी धमका जाता हैं। उतर: विनम्रता भी उनके साथ दिखानी चाहिए जो इसके योग्य हों। जो व्यक्ति विनम्रता की भाषा नहीं समझता उसको दण्ड की भाषा में...

मुकम्मल भी हुआ तो क्या हुआ

Broken Heart

मुकम्मल भी हुआ तो क्या हुआ ये इश्क़ है अपनी नादानी कहां छोड़ता है कभी तो खयालों को बसाता है और कभी सारे सपनो को तोड़ता है पन्ने पलटने में देर नहीं लगती और हवाओं का रूख भी मोड़ता है अकेले बैठे ये सोचता हूं दिन भर कि क्यों ये दिल मुझे हर रोज टटोलता है खामोश तो मेरी जुबान रहती है अंदर तो दिल का जलवा बोलता...