इस ज़माने की गर्द से हीरा तराशा है
एक तेरी रूह सच है बाकी सब तमाशा है
कभी कभी कोशिशें भी बेहतरीन हो जाती है
जब दिल के अंदर हिम्मत का दिलासा है
गुच्छे खुशियों के मुझे अनगिन नहीं चाहिए
अपनी ख़्वाहिशों का तो दायरा ज़रा सा है
सही मौके मुक़द्दर बदलने का रुतबा रखते हैं
अगर उनकी तबीयत मे कोशिशें बेतहाशा है
दूसरों की सरपरस्ती मे ढूँढते रहे वजूद को
किस किस ने इस रवायत को खुद मे तलाशा है
मेरी नीयत का मुझे ज़्यादा इल्म नहीं है मगर
मुझे मेरी परवरिश ने ईमान से नवाज़ा है