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मेरा नूर जब भी मुझसे नाराज़ होता है

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Lonely Man
मेरा नूर जब भी मुझसे नाराज़ होता है

मेरा नूर जब भी मुझसे नाराज़ होता है,
हमेशा मैं उसे मनाऊं यही सोचता है,

गलती किसी की भी नही होती उस समय शायद
बस वो और पास आने का बहाना ढूंढता है

कोई आसमान पर गुब्बारे उडाता है
और कोई ज़िन्दगी का मज़ाक बनाता है

वो भोला है दो पल मे मान जाता है
और मेरी ही गलती है कहकर बात को टाल जाता है,

रिश्ते भी बड़े नाज़ुक होते हैं रेशम की तरह
एक शक से बड़ी जल्दी बिखर जाता है

एक दूसरे के दिलों का हाल समझिये
अपनी ही रट लगाने से रिश्ता टूट जाता है

कोई नाराज़ है तो तेज़ाब की बूँदें न छिड़को
पानी का मरहम ही आग को बुझाता है

ज़िंदगी मे कोई खास है तो हमेशा दिल से लगा के रखो
ऐसा साथी बड़ी मुश्किल से मिल पाता है