मुझे इल्म नहीं है कि तू मुझसे नाराज़ है
शायद तेरे गुस्से का यही आगाज़ है
कब नहीं की मैंने तेरी फ़िक्र जो तू खफा है
बिना जताये ख्याल रखना मेरा अंदाज़ है
ख़ामोशी पसर रही है मेरे आसपास इतनी
अब सूनी सूनी से लगती तेरी आवाज़ है
मुझे पता है की मैं मुकम्मल इंसान नहीं हूँ
मुझे भी अपनी कमियों का एहसास है
कोशिशें मेरी जारी है तुझे खुश रखने की
बस तुझसे भी साथ देने की मुझको आस है
कुछ सुर तुम मिलाओ कुछ हम मिलाते हैं
यही तो ज़िंदगी के गीत का साज़ है
तेरे क़दमों के साथ मेरे कदम चलेंगे
मेरीआँखों में हम दोनों के सपनो की परवाज़ है
चाहे चोट लगे या कहीं पर ख़ुशी बरसे
हर कदम पर हम दोनों साथ- साथ है