रब ने दिया है सबको बराबर मौका
वो इंसान पर है कि कैसे ज़िन्दगी सँवारे
एक चिड़िया दाना चुगती है पेड़ पर
और दूसरी पिंजरे में ज़िन्दगी गुज़ारे
किसी ने बिना सोचे समझे फैसले लिए
कोई सालों तक एक कदम भी न उठाए
कुदरत तो अपना काम करती है
पर तुमने क्यों अपने रास्ते हटाए
कौन है जो ज़िन्दगी में मुश्किल नहीं देखता
तुम हो कि पहले कदम से ही घबराए
जो लोग गुमान से आस्तीन चढ़ाए जाते थे
वक़्त ने हर बार उनके सारे नशे उतारे
क्या मुकाम मिला ये तो पता नहीं
मगर इंसान अब खुद को कहाँ तलाशे
ये शोर तो लगातार बढ़ता रहेगा
ख़ामोशी की दवाई कौन लेकर आए
ख़ुशी होती है कि कुछ लोग हैं आंसू बहाने को
वरना तो लोग देखकर कन्नी काट जाते
जा रहा हूँ ये सोचकर कि कहीं ठहराव मिलेगा
ज़िन्दगी के थपेड़े अब सहे नहीं जाते