ये राहें अंजान नहीं है यूँ ही
मै इसमें नजर बंद करके चलना चाहता हूँ
मै तलाश में हूँ किसी रहगुजर की
उसी के लिए शहर से निकलना चाहता हूँ
ये काटें की चुभन तो कुछ भी नहीं है
बस इन्ही रास्तों से गुजरना चाहता हूँ
लगता है शमां तेरे चेहरे की इनायत है
मै इसी के इशारे में जलना चाहता हूँ
लोग कहते हैं इश्क़ में गम – ए – जुदाई है
मै उन सभी कहकहो से मुकरना चाहता हूँ
फिजाएं जो महकी तो कुदरत है तेरी ही
मै भी फिज़ाओ में उड़ना चाहता हूँ
तेरी आहट से शबनमी है गुलों में
इस शब – ओ – गुल में मै भी धुलना चाहता हूँ
वो रंग – ए – रुख्सार हिना मेरा दिल है
मै उसी के रंगत में रंगना चाहता हूँ
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