जिस व्यक्ति के अंदर दृढ़ इच्छा शक्ति पैदा हो जाती है वह कठिन से कठिन कार्य बड़ी आसानी से कर लेता है। ऐसी ही इच्छा शक्ति और विश्वास के साथ मेरे गाँव के शशि भूषण जी इस साल के मई महीने के लॉकडाउन में सिरौना आये और यही गांव में रहके बिजनेस करने का प्लान बनाया। सिंतबर के महीने में इन्होंने कम पूंजी के लागत से लगभग 700 चूज़े (मुर्गी के बच्चों) के साथ मुर्गी फार्म (पोल्ट्री फार्म) का व्यवसाय शुरु किया लगभग 2 महीने के बाद सारे चूज़े 2 से 2.5 किलो के मुर्गे हो गए… इस छोटे से पूंजी के साथ शुरू किये गए बिजनेस से 2 महीने में ही लगभग 60- 70 हजार का मुनाफा हुआ।
शशि जी पिछले 10-15 सालों से दिल्ली के एक प्रतिष्ठित कंपनी में कार्य कर रहें थे..वहा उनकी सैलरी भी अच्छी थी। लेकिन लॉकडाउन में काम बंद होना और घर पर पिताजी जो अब वृद्ध हो गए है उनकी सेवा भावना ने दिल्ली छोड़ने पर मजबूर कर दिया। मुर्गी फार्म के बिजनेस में चूज़े के लिए खाने की व्यवस्था करना, साफ बर्तन में पानी देना, समय समय पर बर्तन को साफ करते रहना, चूज़े के रहने वाले जगह को गर्म रखना इत्यादि बातों का हमेशा ध्यान रखना होता है। चुकिं शशि जी बहुत ही मेहनती आदमी है..दिल्ली जैसे महानगर में प्राइवेट जॉब किये है… समय की पाबंदी, एवं वर्क प्रेशर आदि से वाकिफ़ है। इन्होंने लगातार परिश्रम करके अपने बिजनेस को सफल बना दिया। अब ये मुर्गी पालन के साथ साथ गौ पालन का भी प्लान कर रहे है ताकि व्यापार के साथ मुनाफा बढ़े एवं ज्यादा लोगो को रोजगार मिल सके।
15 -20 हजार की नौकरी के लिए दिल्ली, मुम्बई, बैंगलोर, कोलकाता जैसे शहरों में रहने वाले युवा साथियों से आग्रह है कि अपने गांव वापस आने की योजना बनाइये और यही रोजगार सृजित करिये। अगर आप में लगन है, मेहनती है और गांव में रोजगार का विकल्प ढूंढ रहे है तो सब्जी की खेती, मछली पालन, मुर्गी पालन, दुधारी नस्ल की गाय के साथ डेयरी प्रोजेक्ट, आम एवं लीची के बागान आपके कमाई का बेहतर जरिया हो सकता है। आप आसानी से गांव रहते हुए 20 -25 हजार रूपये या उससे ज्यादा कमा सकते है। अपने गांव के नजदीक ही शिकारगंज बाजार है जहाँ प्रतिदिन आसपास के 10 -15 गांव से लगभग 5000 -10000 की संख्या में लोग खरीददारी करने आते है। पर्व त्यौहार या शादी की सीजन में यह संख्या बढ़ भी जाती है। हमारे पास अपने सामान बेचने के लिए विस्तृत और बेहतर बाजार उपलब्ध है।
आजकल महानगरों में पैसे कमाना अपने जीवन को दावं पर लगाने जैसा है। कोरोना महामारी हो या प्रदूषित हवा, पानी सबसे ज्यादा इन्ही बड़े शहरों में लोगो को प्रभावित किया है। शहर के लोगो को इलाज के लिए हॉस्पिटल में जदोजिहद करते देखा है। जबकि गांव का वातावरण बहुत ही सुहावना है। ताजी एवं शुद्ध हवाएं, शोर-शराबा से मुक्त, प्रदूषण से मुक्त जीवन हमारे यहाँ के लोगों के स्वस्थ जीवन का राज है।