शरीर थक गया, वहम का आगोश है
और लोग कहते हैं जिंदगी में जोश है
चीख कर दुनिया ने मेरा दर्द देखा
और अपने अभी तक खामोश है
जो कहते थे हम तेरा साथ देंगे
वो तो एहसान फरामोश है
फूलों ने बगीचे से दगा किया तो
बाग़बां का इसमें क्या दोष है
कौन रहता है यहाँ पर ईमान से
सब जगह आजकल लूट खसोट है
पैरवीं करने का दावा करते थे
दलीलों के सौदागर अभी बेहोश है
कौन है ज़िंदा ये खबर नहीं लेकिन
सोच तो सबकी यूँही ज़मींदोज़ है
ज़हर के बर्तन में मिश्री का धोखा
चेहरे में साफगोई और दिल में रोष है
आज़ादी की केवल बातें होती है
ग़ुलामी तो सबके दिलों की सोच है